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लेखनी कहानी -25-May-2022 अबला, सबला से आ बला तक

मैं आज सुबह चाय के साथ अखबार का नाश्ता कर रहा था । सुबह सुबह पेट को भूख नहीं लगती है बल्कि दिमाग को लगती है । होठों को प्यास लगती है । ये प्यास पानी से नहीं मिटती बल्कि गरमागरम चाय से मिटती है और दिमागी भूख अखबार से मिटती है । तो हम कल हुए अपराधों, मर्डर, बलात्कार , चैन लूटने की घटनाओं, अन्य अपराधों और दुर्घटनाओं के बारे में अखबार में समाचार पढ़ रहे थे ।

आजकल अखबार में ये ही समाचार होते हैं । इनके अलावा और कोई समाचार होते भी हैं क्या ? या फिर नेताओं के बड़बोले बयान होते हैं । इतने में हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी का फोन आ गया । बड़े घबड़ाये से लग रहे थे वे । हमने पूछा कि क्या हुआ तो कहने लगे कि तुरंत घर आइये , यहीं बतायेंगे । हम तुरंत चल दिये । 

हंसमुख लाल जी के घर पहुंचे तो पता चला कि उनकी पड़ोसन ने कोहराम मचाया हुआ है । हमने पूछा कि क्या हुआ तो वे कहने लगे "क्या बतायें भाईसाहब , नाक में दम कर रखा है इसने । जीना दूभर हो गया है हमारा । सुबह से लेकर शाम तक फिर रात से लेकर सुबह तक "चिक चिक झिक झिक" करती ही रहती है ये " ।

हमने कहा "कोई तो बात होगी । आखिर बिना बात तो कुछ भी नहीं होता है ना " । 

जवाब हंसमुख लाल जी की पत्नी ने दिया "भाईसाहब, इसके घर में इसके अलावा और कोई तो है नहीं । इसलिये लड़ाई लड़ने को कोई तो चाहिए । अपना फ्रस्ट्रेशन किस पर निकाले ?  हम तीनों पड़ोसी इसी काम आते हैं इनके" । 

हमने मन ही मन भाभीजी की बुद्धिमत्ता की दाद दी । हमने चौंककर पूछा "तीनों पड़ोसी कौन" ? 

"इनके मकान के दांये, बायें और पीछे वाला । इन्हीं से रात दिन लड़ती रहती है" 
"काम क्या करती है" 
हंसमुख लाल जी इस सवाल पर हंसते हंसते लोटपोट हो गए । कहने लगे "इतनी देर से यही तो समझा रहे थे कि चौबीसों घंटे लड़तीं रहती है ये और आप पूछ रहे हैं कि काम क्या करती है " ?  उनकी हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी । 
मैने हिम्मत करके पूछा "लड़ाई के अलावा और क्या करती है" ? 
"सुना है कि सरकारी नौकरी करती है । बस, दो घंटे ऑफिस जाती है और बाकी दिन लड़ाई में बिताती है "। 
"इसका बॉस इसे कुछ कहता नहीं "? 

"वो क्या कहेगा इससे ? बल्कि ये सुनाती है अपने बॉस को 'भजन' । शुरू शुरू में जब ये हमसे बात करती थी तब कहती थी कि मैंने तो ऑफिस में कह रखा है कि पहले से ही मैंनें अलग अलग ऑफिस में पांच बॉसेज के खिलाफ FIR दर्ज करा रखी हैं । कोई दुष्कर्म की , कोई छेड़ने की , कोई घूरने की तो कोई अश्लील बातें करने की । इसलिए अब कोई भी बॉस इसे कुछ भी नहीं कहता है । बल्कि ये कहता है कि मैडम आप तो घर पर ही रहा करिये । काम धाम करने की जरूरत नहीं है आपको । हम ही कर दिया करेंगे । तनख्वाह आपके खाते में जमा हो जायेगी हर पहली तारीख को । मगर ये मैडम मानती ही नहीं । रोज दो घंटे जाती हैं बॉस और कुलीग की नाक में दम करने और फिर घर आ जाती हैं" । 

"घर में और कौन कौन हैं इसके" ?

"अकेली ही है । अगर घर में ही कोई होता तो हम पड़ोसियों से बिना बात लड़ना नहीं पड़ता ना इसे । चूंकि फ्रस्ट्रेशन तो निकालना ही होता है ना । जैसे हम लोग ठोस, द्रव, गैस पदार्थ निकालते हैं न वैसे ही फ्रस्ट्रेशन भी निकालना आवश्यक है वरना अंदर ही अंदर बहुत नुकसान करते हैं ये सब । हां , चूंकि वह एक आत्मनिर्भर नारी है । लाख डेढ़ लाख रुपए कमाती है महीने के । खर्चा कुछ खास है नहीं इसलिए इसने चार कुत्ते पाल रखे हैं । बस, उन्हीं के दम पर हमपे रौब झाड़ती है" । हंसमुख लाल जी कहते कहते भावुक हो गए । 

"शादी नहीं की क्या इन्होंने" ?

"पहले जब नौकरी लग गई थी तब तो भाव बहुत ऊंचे थे । IAS से नीचे तो बात ही नहीं करती थी । IAS का इंतजार करते करते 35 साल की हो गई मगर कोई ढंग का IAS नहीं मिला । 35 साल तक कौन कुंवारा बैठा रहता है आजकल । तब ये IAS से नीचे उतरी । फिर तो कोई भी नौकरी वाला चलेगा वाले मोड में आ गयी मगर इतनी उम्र का कोई कुंवारा मिला नहीं । ऐसा करते करते 40 साल की हो गई मैडम जी  । एक व्यवसायी का रिश्ता आया था इसके पास मगर उसके दो बच्चे थे । उसकी बीवी उसे छोड़कर अपने प्रेमी के संग भाग गई थी । रिश्ता बहुत अच्छा था । वह लड़का लाखों रुपए कमाता था महीने के । दो बच्चे भी फ्री में मिल रहे थे , मगर ना जाने क्यों इसने मना कर दिया । उसके बाद से तो रिश्ते आने ही बंद हो गये । घर में सबसे लड़ने लगी थी ये । भाई भाभी सब परेशान हो गए इसके । एक दिन इसकी भाभी ने घोषणा कर दी कि घर में या तो ये रहेगी या वो । तब ये घर छोड़कर यहां रहने आ गयी । एक दिन इसकी भाभी मिल गयी थी तुम्हारी भाभी को गोलगप्पे खाते समय गोलगप्पे वाली ठेल पर । वहीं बता रही थी सब इसके बारे में । मैडम जी आखिर अकेली कब तक रहती ? इसलिए कुत्ते पालना शुरू कर दिया । अब चार कुत्ते हैं । ये जब भौंकना शुरू करती है तब वो भी अपनी मालकिन का भरपूर साथ देते हैं । अब तो यह हालत हो गयी है कि हम ये मकान छोड़कर जाना चाहते हैं । हमने कई प्रोपर्टी डीलर्स से भी संपर्क किया मकान बिकवाने के लिए मगर सबने हाथ खड़े कर दिये यह कहकर कि 'आफत के पड़ोस में कौन रहना चाहेगा' ? अब आप ही बताइए हम क्या करें " ?

बहुत सोच विचार करने के बाद भी हमें कुछ नहीं सूझा । फिर इन मैडम से कौन पंगा ले ? इसलिए टालने की गरज से पूछ लिया "थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई" ? 

हंसमुख लाल जी फिर से जोर से हंस पड़े । कहने लगे "भाईसाहब , एक बार पहले रिपोर्ट दर्ज कराई थी मगर ये अपने चारों कुत्तों के साथ पुलिस पर ही पिल पड़ी । बेचारे पुलिस वाले अपनी जान बचाकर भागे । अब वो हमारी बात ही नहीं सुनते हैं , हम क्या करें" ?  

मैंने मन ही मन सोचा कि आत्मनिर्भरता तो ठीक है मगर आत्मनिर्भरता इतनी भी नहीं होनी चाहिए कि पड़ोसी भी 'त्राहिमाम त्राहिमाम' कर उठें । अबला से सबला तक का सफर तो अच्छा है मगर 'आ बला' का सफर ठीक नहीं । 

हरिशंकर गोयल "हरि'
25.11.21 


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3 Comments

देविका रॉय

30-May-2022 01:34 AM

👌👌👌

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Gunjan Kamal

26-May-2022 10:30 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Raziya bano

26-May-2022 09:54 AM

Nice

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